क्रोना से अधिक खतरनाक है भारत मे साम्प्रदायिक नफरत वायरस, एनारपी, एनआरसी, बेरोज़गारी।
एस. ज़ेड.मलिक(पत्रकार)
भारत का बैंक खाली करवा कर मोदीशाह के लिये भीड़ इकट्ठा करनवाने के लिये भाजपा अपने मानुवादी हिंदुत्वादी आतंकी भक्तों द्वारा रुपया बंटवाते हुए देखे जा सकते है हांलाकि यह भाजप के पिछले रैली की तस्वीर है परन्तु दूसरी ओर विश्व भर मे क्रोना वायरस से जहां हज़ारों की संख्या मौतें हो रही है अफरा-तफरी मची हुई है उसके भय से विदिशों की सरकारें अपने देश के नागरिकों के लिए हर वह सुविधा मोहिया करा रही है जो दैनिक जीवन यापन की आवश्यकता है । और हमारे भारत की सरकार बजाए सुविधा प्रदान करने के अभी तक केवल ताली और थाली बजाने का आश्वासन दे कर लोगों को अपने घर मे बन्द रहने को सलाह दे रही है , बाज़ार रेल यातायात, बसें, बन्द करा रही हैं जबकि हमारे भारत मे अभी इसका कोई इतना बड़ा न प्रकोप देखा जा रहा है न किसी को अन्य देशों की तुलना में मरते देखा जा रहा है । सुरक्षा और सावधानियां तथा सतर्कता आवश्यक है - लेकिन सरकार इसके भारतीय इसके विपरीत केवल मुसलमानों पर ही अपना निशाना साध रही है जैसा कि उत्तरप्रदेश में देखने और सुनने को मिला लखनऊ के घण्टा घर पर एनपीआर और एनआरसी के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर भाजपा की योगी सरकार बर्बरतापुर अपने मानुवादी पुलिस के द्वारा लाठियां बर्सवा रही है तथा दलाल मानुवादी मीडिया को जुमा की निमाज पढ़ने वाले मुसलमानों को जो मस्जिदों में जा रहे है और अपने वतन , अपने मुल्क, अपने देश मे फैल रहा आपदा रो रोकने के लिये जो अपने अल्लाह से परमेश्वर से रो रो कर सुरक्षा की दुआ मांग रहे होते है उन्हें उटपटांग सवाल करने के लिये भेज कर और भरम और नफरत का माहौल बनवा रही धितकार है ऐसी सरकार पर जो कि आज लोगों को क्रोना से अधिक नफरत का ज़हर लिये लोगों से आम साधरण व्यक्ति को भयभीत करा रही है ।
सरकार ने क्रोना से अधिक भयावह और खतरनाक नफरत का विषैला वायरस तो 2014 से भारत मे इतना फैला दिया है कि क्रोना का खतरा इसके आगे कुछ भी नही है । साम्प्रदायिक नफरत का विषैला हिंदुत्व नाम का दंगाई संगठन का क़हर जिसके चपेट में पिछले महीने भारत की राजधानी दिल्ली के उत्तरी पूर्वी दिल्ली में सैकड़ो घर जला कर तबाह और बर्बाद कर दिए गए, सैकड़ो लाशें बिछा दी गई - हज़ारों भारतीय मुसलमानों को इस वायरस के तहत गिरफ्तार के उनके जीवन को नष्ट कर दिया गया। क्रोना का वायरस तो इसके आगे कुछ भी नही है ।
जिसे रोकने में कोई भी शक्ति असफल है।
और क्रोना पर इतना रोना ? जबकि सम्पूर्ण विश्व मे क्रोना से मारने वालों की संख्या मीडिया के अनुसार 6 से 7 हज़ार बताई जा रही है और जबकि भारत मे सम्प्रदायिक नफरत वाले दंगाई के वायरस मरने वालों की संख्या 2014 से अब तक 20,000 से ऊपर पहुंच गई है । अनुमान लगाएं केवल भारत मे सम्प्रदायिक नफरत वाले वायरस से मरनेवालों की संख्या हर कितनी है ? क्या मोदी मेडिया इसका हिसाब भारत सरकार या राज्य सरकारों से कभी पूछी है या पूछेगी ?